आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "islam aur asr e jadeed shumara number 004 magazines"
नज़्म के संबंधित परिणाम "islam aur asr e jadeed shumara number 004 magazines"
नज़्म
चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़
ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पे मजबूर हैं हम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
झुटपुटे के वक़्त घर से एक मिट्टी का दिया
एक बुढ़िया ने सर-ए-रह ला के रौशन कर दिया
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
तमतमाए हुए आरिज़ पे ये अश्कों की क़तार
मुझ से इस दर्जा ख़फ़ा आप से इतनी बेज़ार
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम
राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
ऐ चचा ख़र्रू शिचोफ़ ऐ मामूँ केंडी अस्सलाम
एक ही ख़त है ये मामूँ और चचा दोनों के नाम